वीडियो : भक्ति भाव से निकली जगन्नाथ जी की रथ यात्रा गोमूत्र से शुद्ध की गई प्रसादी का हुआ वितरण जानिए क्या हैं इसका रहस्य
रथ यात्रा में वितरित प्रसादी को गोमूत्र से शुद्ध किया गया
ब्यूरो रिपोर्ट : News Flash INDIA- आज देश के अनेक स्थानों पर भगवान श्री जगन्नाथ देव की रथ यात्रा महोत्सव का आयोजन हुआ। भारत के ओड़िशा राज्य के पुरी ज़िले में विधिवत पूजा कर भगवान श्री जगन्नाथ देव की रथ यात्रा निकली जहा भी श्रद्धालुओं का विशाल जन सैलाब उमड़ा
इसी कड़ी में जनपद हापुड़ में भी श्री जगन्नाथ रथ यात्रा सेवा समिति द्वारा भगवान श्री जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया गया।
हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जगन्नाथ जी की रथ यात्रा में भाग लिया और हापुड नगर जय जगन्नाथ, जय बलदेव, जय सुभद्रा के जयकारों से गूंज उठा। श्री जगन्नाथ रथयात्रा सेवा समिति, हापुड़ द्वारा 24 वीं भगवान श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ किया गया।
रथ यात्रा का शुभारंभ पुराना बाजार स्थित श्री शिव मंदिर से प्रारंभ होकर सर्राफा बाजार, मेरठ चौकी, चंडी रोड होती हुई चंडी रोड पर श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर विश्राम हुई ।
रथ यात्रा का शुभारंभ पंडित अखिलेश शर्मा द्वारा महाप्रभु जगन्नाथ जी का पूजन कराकर किया गया। रथ यात्रा महोत्सव में वृंदावन से पूज्य श्री कार्तिक कृष्ण गोस्वामी जी, आशुतोष जी महाराज, हरियाणा के हिसार से दिव्य दास जी, गाजियाबाद से भैया नवनीत प्रिया दास जी, साहिबाबाद से भैया नरेश जी, गाजियाबाद से वरुण तोमर जी, गोवर्धन धाम से विष्णु प्रिया जी, वृंदावन से गौरदास जी, सहारनपुर देवबंद से ठाकुर नवरंगी लाल मंदिर के आचार्य श्री निकुंज गोस्वामी जी के साथ-साथ हापुड़, बुलंदशहर, गुलावठी, पिलखुआ सहित अनेक जिलों एवं शहरों से पधारे रसिकों ने उत्सव का आनंद लिया
श्रद्धालुओं ने जमकर हरे कृष्णा महामंत्र और हरि नाम संकीर्तन करते हुए नाच नाच और झूम झूम कर रथ यात्रा में शामिल हुए। भजन गायको ने निताई गौर राधेश्याम और आये जगन्नाथ भगवान आज हरिपुर में जैसे अनेक भजनों का गायन कर भक्तों को भक्ति भाव से भर दिया।
- रथ यात्रा में वितरित प्रसादी को गोमूत्र से शुद्ध किया गया।
रथ यात्रा में भक्तों का जोश देखते ही बन रहा था । सेवा समिति द्वारा विभिन्न स्तरों पर लोगों को अलग-अलग सेवाएं दी गई थी जिनमें कोई रथ यात्रा के संचालन में विभिन्न जिम्मेदारियां निभा रहा था तो कोई जगन्नाथ जी की कुंडी लेकर यात्रा में विचरण कर रहा था ।
इसी बीच कुछ लोग अपने हाथों में एक तख्ती लेकर भी नजर आए । जिस पर एक संदेश लिखा था। संदेश में कहा गया कि यहां दिए जा रहे प्रसाद में गोमूत्र मिलकर इसे शुद्ध किया गया। इस संदेश के पीछे एक धार्मिक गूढ़ महत्व भी है क्योंकि भगवान श्री कृष्णा को गोपाल भी कहा जाता है और गोमूत्र को सनातन धर्म में पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
इसी के चलते प्रसाद जी को गोमूत्र से शुद्ध किया गया । यात्रा के दौरान अनेक स्थानों पर लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रसादी का वितरण किया जा रहा था कहीं कढ़ी चावल तो कहीं छोले चावल शिकंजी शरबत आदि सहित विभिन्न प्रकार की चीज वितरित की जा रही थी । यात्रा के समापन के बाद चंडी मंदिर प्रांगण में महाभोग प्रसादी का आयोजन किया गया था।