सैकडो बेजुबानों को कुर्बानी से बचाकर पेश की मानवता की मिसाल
Example of humanity
ब्यूरो रिपोर्ट: (NEWS FLASH INDIA) बागपत :
कुर्बानी, किसी धर्म का रिवाज है तो कही इसको रोकना मानवता ।
लेकिन जब इस मानवता को समाज के प्रत्येक कोने तक पहुंचाने के लिए लोग आपस में एक दूसरे का सहयोग करते हुए ऐसे बेजुबान जानवरों को खरीद कर उनकी जिंदगी को बचा ले जिनको रिती रिवाज की परंपरा के अनुसार कुर्बान कर दिया जाता ,तो यह कार्य एक ऐसा संदेश समाज को देता है जो अहिंसा और मानवता दोनों की मिसाल बन जाता है इस मिसाल को कायम करने के लिए जीव दया संस्थान ने समाज के अनेक लोगों का सहयोग लेकर इस मानवता की मिसाल को कायम किया। और भगवान महावीर स्वामी के संदेश जीयो और जीने दो ,को चरितार्थ किया है।
बकरीद पर बकरों को लेकर जगह-जगह से नई तस्वीरें आ रही है। ये तस्वीरें बकरों की कुर्बानी से जुड़ी हुई हैं। वहीं इनमे एक तस्वीर बागपत जनपद के अमीनगर सराय कस्बे से भी सामने आयी है। जैन समाज के लोगों ने बाजार में बिक्री को आये 250 बकरे खरीदकर 'बकराशाला' में संरक्षित कर लिया है ताकि इन सभी की जान बचाई जा सके।
पशु प्रेमी दिनेश जैन ने बताया कि बागपत के अमीनगर सराय कस्बे में जैन समाज के लोगों द्वारा जीव दया संस्थान की 2016 में स्थापना की थी। इस संस्थान को खोलने का उद्देश्य बेजुबान जीवों की रक्षा करना था। खासतौर पर बकरीद पर कुर्बानी दिए जाने वाले बकरों को बचाना। इस संस्थान ने शुरुआत में 40 बेजुबान बकरों से शुरुआत की थी और जैन समाज के लोग भगवान महावीर स्वामी के संदेश जीयो और जीने दो, की प्रेरणा से इस बकराशाला मे अब 450 बकरे मौजूद हैं। बकरीद से एक दिन पहले जिन 250 बकरों को जगह-जगह कुर्बानी के लिए बिक्री को रखा गया था, उन्हें जैन समाज के लोगो ने महंगे दामों में खरीदकर न केवल इनकी जान बचाई बल्कि उन्हें 'बकराशाला' में संरक्षित किया।
इन सभी के गले में लाल धागे भी कुर्बानी देने वालों ने बांधे हुए थे। 5000 वर्ग फीट में नवनिर्मित बकराशाला में बकरों के खाने-पीने, रहने समेत चिकित्सकों की भी बेहतर व्यवस्था की हुई है। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत में यह पहली और इकलौती बकराशाला हैं। इसका उद्देश्य केवल बेजुबान जीवों की रक्षा करना है। आने वाले दिनों में पक्षियों के लिए भी 45 मंजिला ऊंचा टावर बनाया जाएगा जिसमे पक्षी अपना निवास बनाकर रह सकेंगे।