इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त एक्शन न्यायालय में घुसकर हंगामा मारपीट करने वाले अधिवक्ताओं पर कार्यवाही , प्रेक्टिस पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त एक्शन न्यायालय में घुसकर हंगामा मारपीट करने वाले अधिवक्ताओं पर कार्यवाही ,  प्रेक्टिस पर लगाई रोक

ब्यूरो रिपोर्ट - (News Flash INDIA) -  इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा आपराधिक अवमानना के मामले में सुनवाई करते हुए बेहद कड़ा रुख इख्तियार किया गया है। हाईकोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन, प्रयागराज की कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं के एक समूह द्वारा हंगामा व मारपीट कर कोर्ट की कार्यवाही को बाधित करने और न्यायालय परिसर में वादी के साथ मारपीट करने के मामले में बेहद कड़ा एक्शन लिया है। इस मामले में माननीय न्यायाधीश अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायाधीश मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीस की बैंच ने सुनवाई की।

कोर्ट ने इस कृत्य को आपराधिक अवमानना माना और सभी तथ्यों का संज्ञान लेकर अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ के उत्तर प्रदेश में कानूनी प्रेक्टिस करने पर रोक लगा दी और जिला न्यायालय परिसर में भी प्रवेश प्रतिबंध कर दिया। इस घटना में शामिल अन्य अधिवक्ताओं पर भी जल्द कार्यवाही की जा सकती है।

  • क्या है पूरा मामला ? 

सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रयागराज की कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों के एक समूह द्वारा कोर्ट को दबाव में लेने के लिए हंगामा किया गया और केस के वादी पक्ष के साथ कोर्ट परिसर में घुसकर मारपीट की गई और पीठासीन अधिकारी के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया।

  • इस घटनाक्रम में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा भी बीच बचाव करने की कोशिश की गई और मामले को शांत करने का प्रयास किया गया लेकिन अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ ने उनकी बात तक नहीं सुनी और हंगामा करते रहे जिसके बाद अपनी सुरक्षा के लिए बार अध्यक्ष कोर्ट परिसर से बाहर चले गए। हंगामा कर रहे अधिवक्ताओं की भीड़ द्वारा न्यायालय में डायस के ऊपर चढ़कर हंगामा किया गया और कोर्ट में मोनिस परवेज अंसारी और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की गई। इतना ही नहीं जब मुकदमे के वादी ने अपनी सुरक्षा के लिए पीठासीन अधिकारी के कक्ष में घुस गए तब भी हंगामा और मारपीट करने वाले अधिवक्ताओं का समूह नहीं रुका और वहां भी उनसे जमकर मारपीट की गई । 

इसके बाद पीठासीन अधिकारी अपनी सुरक्षा के लिए अपने चैंबर से निकलकर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के चेंबर की तरफ तेजी से निकल आए। और स्थानीय पुलिस अधिकारियों को मामले की सूचना दी गई। इसके बाद मौके पर पुलिस ने पहुंचकर स्थिति को अपने नियंत्रण में लिया। इस पूरी घटना को पीठासीन अधिकारी द्वारा रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। हाई कोर्ट ने इस मामले के तथ्यों का संज्ञान लिया और 

जारी आदेश में कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इस मामले को आपराधिक अवमानना माना और अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया कि क्यों न आपको अपराधिक अवमानना के तहत दंडित किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया है और जिला जज प्रयागराज से घटना से संबंधित रिपोर्ट मांगी है । हाईकोर्ट ने घटना से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज आदि और घटना में शामिल अन्य अधिवक्ताओं और अन्य लोगों से संबंधित सभी तथ्यों को ध्यानपूर्वक संज्ञान लेकर उन सभी पर रिपोर्ट मांगी है जो इस आपराधिक अवमानना के कृत्य में शामिल रहे थे।

 इस मामले में कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट नियमावली ,1952 के अध्याय XXIV नियम 11(2) के तहत कार्यवाही करते हुए अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ को जिला न्यायालय परिसर इलाहाबाद में जाने पर रोक लगाते हुए उनके प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया।और उत्तर प्रदेश में उनकी कानूनी प्रैक्टिस करने पर भी रोक लगा दी। 

हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस कमिश्नर से भी न्यायालय परिसर में सुरक्षा इंतजामों को लेकर रिपोर्ट मांगी है और पुलिस कमिश्नर को जिला जज प्रयागराज के निर्देशानुसार पुलिस फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए हैं जिससे इस तरह का कोई घटनाक्रम दोबारा न हो सके।

See The Order 

Case Reference

CONTEMPT APPLICATION (CRIMINAL)

(CRCL )-[7/2024]

Applicant :- In Re

Opposite Party :- Ranvijay Singh And Others

Advocate Sri Sudheer Mehrotra, learned counsel for the court

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