फर्जी दस्तावेज़ बनाकर इलाहबाद हाईकोर्ट से धोखाधड़ी करने वाली महिला अधिवक्ता सहित अन्य पर FIR, पहुंचे जेल ,जानिए क्या है पूरा मामला

फर्जी दस्तावेज़ बनाकर इलाहबाद हाईकोर्ट से धोखाधड़ी  करने वाली महिला अधिवक्ता सहित अन्य पर FIR, पहुंचे जेल ,जानिए क्या है पूरा मामला

ब्यूरो रिपोर्ट :(News Flash INDIA)-  उच्च न्यायालय इलाहाबाद में धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करके न्यायालय की सुरक्षा में सेंध लगाने का मामला सामने आया है। इस मामले में महानिबंधक उच्च न्यायालय इलाहाबाद की तहरीर पर कमिश्नरेट प्रयागराज के कैंट थाने में मामला दर्ज किया गया है 

उच्च न्यायालय परिसर के क्रिकेट ग्राउंड के पास दो व्यक्ति आलोक सिंह निवासी, बांदा ,उत्तर प्रदेश और प्रद्युमन सिंह निवासी फतेहपुर ,उत्तर प्रदेश ,मल्टी टास्किंग स्टाफ का फर्जी नियुक्ति पत्र ,जिस पर हाईकोर्ट का मोनोग्राम / मोहर लगा हुआ था और बिना भरे हुए शपथ पत्र लेकर हाईकोर्ट परिसर में पहुंचे थे। उन्हें हाई कोर्ट परिसर में प्रवेश दिलवाने वाली अधिवक्ता प्राची श्रीवास्तव उनके साथ मौजूद थी 

इस महिला अधिवक्ता ने एक अन्य व्यक्ति हर्ष श्रीवास्तव को भी अपना मुंशी बताकर अपने आईडी से आलोक सिंह और प्रद्युमन सिंह के साथ न्यायालय परिसर में प्रवेश कराया।  जब सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों द्वारा उनके दस्तावेजों की जांच की गई तो हर्ष श्रीवास्तव के कब्जे से हाई कोर्ट का एक एंट्री पास और एक अन्य एंट्री पास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल के हस्ताक्षर व मोहर लगे हुए बरामद हुए।

बरामद हुए दस्तावेजों पर संदेह होने पर उनकी जांच की गई तो जांच के बाद दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके बाद इस पूरे प्रकरण का संज्ञान महानिबंधक उच्च न्यायालय श्री राजीव भारती द्वारा लेते हुए अधिवक्ता प्राची श्रीवास्तव और हर्ष श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज बनाकर फर्जीवाड़ा करने से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 में मामला दर्ज किया है।और दोनो आरोपियों भाई बहन मुंशी व महिला अधिवक्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है 

दर्ज एफआईआर में जानकारी देते हुए बताया गया है कि हाईकोर्ट की मोहर लगा मल्टी टास्किंग स्टाफ का नियुक्ति पत्र, साथ ही बिना भरे हुए शपथ पत्र के प्रारूप भी आरोपियों के पास से मिले हैं और अधिवक्ता प्राची श्रीवास्तव ने उनके तथाकथित मुंशी हर्ष श्रीवास्तव को अपने आई कार्ड से आलोक और प्रद्युमन के साथ न्यायालय परिसर में प्रवेश कराया। लेकिन जांच में उनके नियुक्ति पत्र दिनांकित 8 अप्रैल 2024 और हर्ष श्रीवास्तव के पास से हाई कोर्ट एंट्री पास व अन्य एंट्री पास कोर्ट के रजिस्टर प्रोटोकॉल के हस्ताक्षर और मोहर लगे हुए बरामद हुए। जो कि जांच के बाद फर्जी पाए गए। इस प्रकार आरोपियों द्वारा छल से कूटरचित नियुक्ति पत्र व फर्जी एंट्री पास दस्तावेजों को तैयार और उपयोग करने का गंभीर अपराध किया गया और माननीय उच्च न्यायालय की छवि को धूमिल किया गया है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और प्रकरण की जांच कर रही है।