मेरठ पुलिस का गजब कानून , यहां न्याय नहीं, बस आंसू मिलते है ।

Amazing law of Meerut Police

  • क्या मेरठ में कानून को लग गई भ्रष्टाचार की दीमक ।
  • पीड़ित का आरोप , साहब रिश्वत देने वालों का साथ दे रहे मेरठ पुलिस के कुछ अधिकारी।

ब्यूरो रिपोर्ट: (NEWS FLASH INDIA)-

आपने सुना होगा ,अपराधी का ना कोई मजहब होता है ना कोई जाति । क्योंकि हमारे भारत देश के संविधान में प्रत्येक नागरिक को न्याय पाने का समान रूप से अधिकार है और उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की कानून व्यवस्था को कायम रखने को लेकर बनाई गई नीतियों की प्रशंसा देश के प्रधानमंत्री से लेकर विदेशी मुल्कों में भी लोगो द्वारा की जा चुकी हैं। जिन नीतियों के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को उत्तम और सुरक्षित प्रदेश बनाया है ।उन्हीं नीतियों का उल्लंघन कर अगर अन्याय करने वाले लोगों को ही संरक्षण देकर उनको कानून के शिकंजे से बचाने का प्रयास स्वयं पुलिस द्वारा ही किया जाने लगे ,तो यह उस व्यवस्था को कलंकित करने वाला कृत्य बन जाता है। जो प्रदेश सरकार की मंशा के विपरीत अन्याय और अनाचार को बढ़ावा देने वाली है ।

ऐसे ही आरोपों में घिरी उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद की वो पुलिस जिसके समक्ष आंखो में आंसू और मन में न्याय की आस लिए अपराधो से पीड़ित लोग उन पुलिस अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहे है ,जिनपर आरोपी पक्ष से हाथ मिलाकर उनको संरक्षित करने का आरोप लगा हुआ है। ऐसे अनेक मामले मेरठ पुलिस के लिए सिर्फ इसलिए परेशानी का कारण बने हुए है क्योंकि उनकी कार्यशैली प्रदेश सरकार की नीतियों और मंशा के विपरीत अपराधियों को संरक्षित करने वाली प्रदर्शित हो रही है।

  • पहला मामला मेरठ में थाना टीपी नगर क्षेत्र का है

 जहां पुलिस की पक्षपात पूर्ण कार्यशैली दो जिंदगियों को मौत के द्वार तक ले गई । जिसमे कार्यवाही करने वाली पुलिस पर आरोप है की उसने रसूखदार और धनबल से संपन्न एक पक्ष से सांठगांठ कर थाना टीपी नगर क्षेत्र के रहने वाले पब्लिकेशन कारोबारी को एक जमानती वॉरंट पर ही गिरफ्तार कर लिया , और जबरदस्ती नियमविरुद कार्य अंजाम देते हुए एक पक्ष को अपने साथ ले जाने लगे , इसी प्रकरण के दौरान हुए घटना क्रम में दो परिजनों की मौत हो गई थी ।

 इसी के मामले में आज एसएसपी ऑफिस पर जमकर हंगामा जोरदार प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई । प्रदर्शन करने वाली महिलाओं और पुरुषों ने आरोपी बीजेपी नेता डॉक्टर संजीव अग्रवाल की गिरफ्तारी की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की।

परिजनों का आरोप हैं की घटना के 3 महीने बीतने के बाद भी अनेक आश्वासन पुलिस ने दिए लेकिन आज तक कार्यवाही नहीं की ।जिसके कारण आरोपी बीजेपी नेता खुले आम घूम रहा है जिसको पुलिस ने आज तक गिरफ्तार नहीं किया है।

3 महीने पहले बेलेबल वारंट के लेकर हापुड़ पुलिस मेरठ पहुंची थी और वारंटी व्यक्ति को उठाकर अपने साथ ले जा रही थी सादी वर्दी में हापुड़ पुलिस कारोबारी के घर पहुंचे थे पुलिस की गाड़ी का पीछा कर रहे पत्नी और भतीजे की पीछा करते समय सड़क हादसे में मौत हो गई थी परिजनों का आरोप है बीजेपी नेता के इशारे पर पुलिस लेनदेन के मामले में कारोबारी को उठा ले गई थी। जिसमे हापुड पुलिस अधीक्षक द्वारा एक आरोपी दरोगा कमल सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया था । घटना के 3 महीने बीत चुके हैं लेकिन उसके बाद अभी तक पुलिस ने बीजेपी नेता गिरफ्तारी नहीं करी है बीजेपी नेता की गाड़ी में हापुड़ पुलिस नेता जी के साथ कारोबारी के घर पहुंची थी । पीड़ित परिजनों ने कहा कि आज एसएससी ऑफिस पर प्रदर्शन करते हुए बोले पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन दे रही है अगर बीजेपी नेता की जल्द गिरफ्तारी नहीं करते हैं तो एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।

  • इसी तरह का दूसरा मामला मेरठ मवाना थाना क्षेत्र का है।

 जिसमे भी पुलिस की भूमिका पूर्णरूप से संदेह के घेरे में है। जिसमे सरकारी तंत्र की मिलीभगत से हुए एक धोखाधड़ी के मामले को दर्ज़ कराने के लिए हापुड निवासी पीड़िता महिला फरहा कुरैशी को करीब 8 महीने पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटने पड़े , जिसमे मवाना पुलिस ने दिनांक 10 फरवरी को एक मुकद्दमा 420,120B आदि अनेक धाराओं में दर्ज किया था, लेकिन अपराधियों को संरक्षित करने की नीति पर चल रही मेरठ पुलिस पर आरोप है की पुलिस ने एफआईआर में नामजद आरोपियों को संरक्षण देने के लिय , पुलिस विभाग का एक ऐसा गोपनीय दस्तावेज अवैध रूप से लीक कर नामजद आरोपियों को न्यायालय में भी संरक्षण प्रदान किया। जिसकी जांच आज तक पुलिस पूरी नहीं कर पाई है।

इस मामले में पीड़िता महिला ने फरवरी माह में ही पुलिस को प्रार्थनापत्र देकर कार्यवाही की मांग की थी लेकिन आज करीब 6 माह बाद भी पुलिस अपने रिकॉर्ड से लीक हुए उस दस्तावेज को लीक करने वाले अपराधी का पता नहीं लगा सकी और न ही मेरठ पुलिस ने अब तक इस मामले में दिए गए अनेक प्रार्थना पत्र आदि पर कोई कार्यवाही की । इस संबंध में पीड़िता महिला द्वारा मार्च के महीने में शिकायती पत्र दिया गया जिस पर भी पुलिस आज तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाई है पूरे घटनाक्रम का संज्ञान मानवाधिकार आयोग द्वारा लिए जाने और आयोग द्वारा मामले में मेरठ पुलिस के क्षेत्र अधिकारी मवाना आदि पर कार्यवाही करने और पीड़ित महिला के मार्च महीने में दिए गए प्रार्थना पत्र पर एफ आई आर दर्ज करने के निर्देश भी जारी कर दिए गए। जिसके बाद भी मेरठ पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ अपराधियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए पूरे प्रकरण को दबाने की हर कोशिश में लगे हैं।

दोनों ही मामलों में पीड़ित फरियादियों को सिर्फ झूठा आश्वासन मिला है तो दूसरी ओर आरोपित पक्ष को पुलिस के जिम्मेदार कंधों का संरक्षण प्राप्त है। जिन पर मेरठ जनपद की कानून व्यवस्था को संभालने का जिम्मा है ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जनता में सरकार के प्रति विश्वास और कानून व्यवस्था को न्याय देने वाला बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाना जरूरी है।