Hapur : रामनवमी की शुभकामनाओं से गठबंधन खेमें को लगी मिर्ची , रूपयो के लालच से होगा जीत का राज तिलक ?

Special Report: NEWS FLASH INDIA - हापुड मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अरुण गोविल की राममय आभा और विकास की रणनीति बीजेपी के लिए रामबाण सिद्ध हो रही है ,तो दूसरी ओर विरोधी पार्टियों के गठबंधन से प्रत्याशी सुनीता वर्मा का खेमा चुनावी रण में सामाजिक और राजनीतिक समझ से दूर , सिर्फ खरीद फरोख्त और नफरती बर्ताव के सहारे चुनाव जीतने की रणनीति पर काम करता नजर आ रहा है ।
ऐसा रुझान किस लिए आया यह भी समझना जरूरी है ।
दरअसल रामनवमी के पर्व पर समाज में लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर और नगर में विभिन्न आयोजन करके, रामनवमी के इस त्यौहार को मना रहे है। लेकिन गठबंधन खेमे में श्री राम के नाम का भी इतना विरोध है कि उनको राम नवमी की शुभकामनाएं भी हजम नहीं हो रही।
पहला मामला हापुड से गठबंधन प्रत्याशी सुनीता वर्मा से जुड़े व्हाट्सएप ग्रुप का है , जिसमे आज सुबह 10:51 पर नसीम कुरैशी नाम के व्यक्ति ने श्री राम नवमी के अवसर पर सभी ग्रुप के लोगो को शुभकामनाएं देने के लिए मैसेज किया था । इस मैसेज पर कुछ देर बाद 11:02 मिनट पर मनीष यादव नाम के व्यक्ति ने ऐसी प्रतिक्रिया दी, जो सामाजिक तौर पर बेहद आपत्ति जनक है और अपनी प्रतिक्रिया देकर उसके नीचे जय समाजवादी पार्टी का नारा भी इस व्यक्ति ने दिया ।
आगे कई आपत्ति जनक मैसेज करके इस ग्रुप में अपनी मानसिकता का प्रदर्शन कर ,स्वयं के राम विरोधी होने और गठबंधन प्रत्याशी के चुनाव जीतने के दावे करने लगे ।
यह सर्व विदित हैं कि श्री राम का नाम और उनकी छवि आम जनमानस के लिए आस्था और भावनात्मक विषय है इसके बाद भी राम विरोधी छवि बनाकर , किस प्रकार गठबंधन खेमा मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर जनता का समर्थन प्राप्त करने की रणनीति बना रहा है यह समझ से दूर है।
- दूसरा मामला खरीद फरोख्त से जुड़ा है एक समाजवादी पार्टी के स्थानीय ग्रुप में लोकेश बंसल नाम के मीडियाकर्मी द्वारा एक खबर सूत्रों के हवाले से प्रकाशित की गई है
जिला अध्यक्ष सपा हापुड नामक वॉट्सएप ग्रुप में खरीद फरोख्त से संबंधित यह खबर शाम 7 बजकर 27 मिनट पर डाली गई कि सपा प्रत्याशी ने मीडिया कर्मी की कीमत 2 हजार रूपए लगाई गई है।
सूत्रों के हवाले से दी गई इस खबर के विश्लेषण के अनुसार अपनी राम विरोधी छवि के साथ गठबंधन प्रत्याशी खरीद फरोख्त कर के चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।
लेकिन सबसे विचित्र बात यह है कि चुनावो के इस मौसम में बहुत सारे ऐसे फर्जी पत्रकार चुनावी रण में प्रत्याशियों को चूना लगाने के लिए उनके इर्द-गिर्द नजर आ रहे हैं जिनका वास्तविकता में पत्रकारिता के क्षेत्र से दूर-दूर तक किसी भी शैक्षिक अथवा अन्य योग्यता और प्रमाणिकता से सरोकार नहीं है। और
ऐसे फर्जी पत्रकार जहां एक और मीडिया की सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर चुनावी प्रत्याशियों को गोटिया बना कर लूट रहे है नकली पत्रकारों बन कर कुछ लुटेरे, प्रत्याशियों को इस प्रकार गोटिया बनाकर लूट लेते है । जिससे तीनो पक्ष खुश रहते है जिनका बाद में ऐसा हाल होता है।
- नकली पत्रकार बने लोग इसलिए खुश हो जाते है क्योंकि आडंबर कर के धन अर्जित हो गया।
- प्रत्याशी इस भ्रम में खुश कि मीडिया को मैनेज कर लिया
- और स्वाभिमानी पत्रकार इसलिए खुश, कि वो बिना किसी लोभ के निष्पक्ष रूप से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं
ऐसे चुनावी प्रत्याशियों के लिए सिर्फ एक ही फिल्मी डायलॉग फिट बैठता है "कि तू तो लूट गया रे गोटिया"