नियम तोडने का रिवाज क्यों निभा रहे जिम्मेदार खाकी धारी । जानलेवा लापरवाही न पड़ जाए भारी
ब्यूरो रिपोर्ट:(NEWS FLASH INDIA)- हापुड (पिलखुवा) :भारतीय रेलवे में हर साल रेलवे क्रासिंग पार करते समय सावधानी न बरतने पर कई लोग ट्रेन की चपेट में आ कर अपनी जान गवां देते हैं. ऐसे में रेलवे की ओर से देश भर में मानव रहित रेलवे क्रासिंगों को खत्म किया जा रहा है. वहीं रेलवे ने क्रासिंगों पर नियम तोड़ने वालों पर सख्ती के लिए खास व्यवस्था की है। ट्रेन आवागमन के समय रेलवे क्रॉसिंग को पार करना दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद लोग जान जोखिम में डालकर नियम तोड़ते हुए रेल पटरी पार करते हैं।
यहां नियम तोड़कर जान दाव पर लगाना , एक रिवाज सा लगता है ।
खाकी वर्दी हो या आम आदमी , सब एक समान लगता हैं।
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ये लाइन जनपद हापुड की हैंडलूम नगरी पिलखुवा की रेलवे रोड स्थित उस रेलवे फाटक का हाल बयान कर रही है , जहां लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर इस रेलवे फाटक को उस समय क्रॉस करना एक रिवाज समझ बैठे है जब इस रेलवे फाटक को ट्रेन की आवाजाही हेतु लोगो की सुरक्षा के लिए बंद किया जाता है।
पुलिस चौकी से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित इस रेलवे फाटक पर आम जनता के साथ साथ जनता में नियम लागू कराने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली खाकी वर्दी भी जब आम लोगो की इस लापरवाही को चरितार्थ करती ऐसे नियम विरुद्ध कार्य करती नजर आए तो फिर ऐसी व्यवस्था का सुधार करने हेतु कड़ा संदेश जारी करना जिम्मेदारों के लिए बेहद जरूरी हो जाता है।
ऐसी लापरवाही उन लोगो के लिए तो जानलेवा साबित होती है जो इस प्रकार के कार्य करते है , साथ ही रेलवे फाटक पर नियम पालन करने वाले सभ्य जनमानस के लिए भी असुविधा और असुरक्षा की स्थिति पैदा कर देते है। लेकिन जब थोड़ी दूरी पर स्थित मारवाड़, कालेज गेट पुलिस चौकी के पुलिस कर्मी ही अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी निभाना नही चाहते और न ही पिलखुवा रेलवे स्टेशन से सटे इस रेलवे फाटक पर जब जिम्मेदारों को ही नियमों की धज्जियां उड़ती नजर नहीं आती ,तो फिर भला सुधार की उम्मीद किस प्रकार की जा सकती हैं क्योंकि इस तरह की लापरवाही से आए दिन कोई न कोई हादसा होता ही रहता है।
जानिए इस नियम को लेकर क्या कहता है कानून ।
ऐसा करने पर तीन हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।रेलवे के नियमों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति सड़क यातायात के लिए बंद रेलवे फाटक के दोनों ओर फाटकों या अन्य किसी अवरोध को तोड़ने की कोशिश करता है तो उसे पांच साल की जेल हो सकती है।
इसका रेलवे एक्ट की धारा 160 में प्रावधान है। इसी प्रकार रेलवे कर्मचारी को छोड़कर अन्य व्यक्ति यदि सड़क यातायात के लिए बंद समपार के दोनों ओर के फाटकों को खोल देता है तो, उसे तीन साल की जेल का प्रावधान है।