News Flash INDIA (अमित त्यागी / निशांक शर्मा) : उत्तर प्रदेश की राजनीती में प्रभाव रखने वाले चुनिंदा बड़े नेताओं में से एक , समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मन्त्री व वर्तमान में रामपुर के लोकसभा सांसद आजम खान की जमानत की अटकलें शुरू हो गयी हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी एक दुसरे के मुखर विरोधी हैं।
लेकिन दोनों ही पार्टियों का परस्पर विरोध जाने-अनजाने अपने-अपने वोट बैंक को साधने में एक दूसरे की मदद करता है ।
वैसे तो सभी पार्टियां सभी धर्मों व सभी वर्गों के साथ और विकास की बात करती हैं मगर ध्रुवीकरण की राजनीती में जहाँ बीजेपी हिन्दू वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास करती है वहीं समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ी हितैषी होने का दावा करती है। इसी कड़ी में तमाम अल्पसंख्यक नेताओं के होते हुए भी आजम खान सपा का सबसे बड़ा चेहरा हैं।समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक आजम खान जमीनी नेता माने जाते हैं। नौ बार रामपुर विधानसभा से विधायक रहे आजम खान वर्तमान में रामपुर से लोकसभा सांसद हैं।उनकी रामपुर क्षेत्र में मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोदी की आंधी में भी ना सिर्फ उन्होंने खुद लोकसभा सीट जीती बल्कि अपने बेटे और पत्नी को भी विधायक बनवाया।उनकी तकरीरों का असर प्रदेश में दूर तक जाता है। जौहर ट्रस्ट और यूनिवर्सिटी सहित तमाम मामलों में आजम खान और उनकी पत्नी और बेटे को जेल जाना पड़ा। आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम की तो दिसम्बर 2019 में उच्च न्यायलय ने विधायकी भी ख़त्म कर दी थी। हालांकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में होने के कारण उनकी सीट पर उपचुनाव नही हो पाया।
अपने ऊपर दर्ज 80 कानूनी मामलों में जेल में बंद आजम खान को जमानत पर बाहर आने की संभावनाएं बन रही हैं। उनकी पत्नी के बाद हाल ही में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को भी अपने अपने ऊपर दर्ज मामलो में जमानत मिल चुकी है। तो वही लखनऊ के हजरतगंज थाने में आज़म खान के खिलाफ दर्ज गाली-गलौच,अपमानित करने के मामले में आज़म खान की जमानत अर्जी पर 20 जनवरी को एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में सुनवाई होनी हैं। आजम खान के खिलाफ यह मामला 1 जनवरी 2019 को दर्ज हुआ था
अबकी बार चुनाव में "पाकिस्तान" और "अब्बाजान" के रफ़्तार नही पकड़ने के कारण चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति सुस्त पड़ी है। ऐसे में लोग आजम खान की जमानत को चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आजम के बिना भाजपा की चुनावी बिसात नहीं सज पा रही है।आजम परिवार अपने ऊपर दर्ज मामलों को राजनैतिक षड़यंत्र बताता है और प्रदेश की योगी सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आजम की जान को खतरा सहित गंभीर आरोप लगा रहा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तर प्रदेश की राजनीती में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक राजनीति के सबसे असरकारक हथियार आजम खान के जमानत के बाद जेल से बाहर आना प्रदेश की राजनीती को कितना प्रभावित कर पायेगा और सपा और भाजपा में किस को कितना फायदा पहुँचा पायेगा ।